Monday, February 16, 2009

कॉकी के बहाना सँ


परिस्थिति- जँ रेस्तरां में एक कॉफीक मग में माछी खसि पडय

स्थिति १- अगर ग्राहक फ्रेंच भेल

मंदी के ध्यान में राखि ओ कॉफी पी लेत, बिल चुकाकर गाम पर आवि जायत


स्थिति २- अगर ग्राहक चाइनीज भेल

चाइनीज ग्राहक कॉफी फेंक देत आ माछी खाकअ बिल देत। एहो संभव अछि ति ओ ऐहेन यंत्र बनावि जेहिमें बेसी सँ बेसी माछी कॉफी में खसल करऐ।


स्थिति ३- जं ग्राहक इस्रायली होवऐ

ग्राहक कॉफी फ्रेंच के बेच देत. माछी चीन के बेच देत। आ भेटल पाइ सँ तेहेन यंत्र बनाओत ताकि आगासँ माछी कॉफी में नहि खसि सके


स्थिति ४- जँ ग्राहक फलीस्तीनी भील


कॉफी में माछी देखकअ एहिमें इस्रायलक हाथ होवअकऐ हल्ला-गुल्ला करत। संयुक्त राष्ट्र आ अरब मुस्लीम समुदाय सँ अनुदानअक अपील करत। भेटल पाइ सँ हथियार कीनकँ इस्रायल पर हमला करत।


स्थिति ५- जौँ ग्राहक भारतीय भेल

कॉफी में पड़ल माछी हटाओत, आधा कप कॉफी पीकअ माछी के फेर सँ कप में धअ देत। हल्ला करअत कि हम उपभोक्ता फोरम में जा रहल छी। रेस्तरां ओकरा धोखा देओल.,.. आधा कप कॉफी तहियो में माछी .लेकिन मैनेजमेंट के बुझओला पर मानि जायत। साफ कॉपी पीकअ संतुष्ट होयत कि एक कप कॉफी के पाय में डेढ़ कप कॉपी पी लेलहुं।

Friday, February 6, 2009

बिहार यात्रा सँ लौटकअ

बहुत दिन भेल बल्कि महीना भर सँ ब्लॉग के समय नहिं दअ सकल छी। दिल आ दिमाग़ पर पेटअक कब्ज़ा भअ गेल अछि। चुनांचे, कवरेजअक सिलसिलां में जखिन बॉस गरीब रथ सँ कतहुं जायकए कहलअक तँ हमर पहलि आ अंतिम विकल्प जयनगर गरीब रथे रहल।


हमर एहि यात्रा की शुरुआत कोनो नींक नहिं कहल जा सकैत छल। कैमरामैन बिहार जावक नाम पर बिदकि रहल छल (हालांकि ओ खुद उड़ीसाक अछि) ओकरा कियो कहि देने छलहि कि बिहारक सीमा में घुसइत मात्र एकटा गोली सँ ओकर खोपड़ी छिन्न-भिन्न भ जेतइ आ गोली सीधा अनंत में विलीन भ जेतई। लेकिन सरकारी आदेशक सामने ओहि छोट-छिन कैमरामैनक की बिसात..ओकरा जाहि के छल, जाहि पड़लै।


गरीब रथ में कायदा सँ कोनो गरीब हमरा नहि भेटल तअ निराशा होवअ लागल। ( ब्लॉग लेखन कऍ रहल छी तअ भाई निशांत सौरभक तरफ सँ त्वरित टिप्पणी आयल अछि कि गरीब रथ गरीबअक कमाई सँ खींचा जाएवाला रथ अछि, दोहाई हो) । चुनांचे, पूरा बोगी में आ संभव अछि जे समूचा गाड़ी में सबसे बेसी गरीब हमीं छलहुं। लैप टॉपकए लैप पर बिछऔने आईटीकुशल युवा आ चमक-दमक साडिमें सजअल सामंती स्त्रीगण। .दो-एक लड़कि। पुरान आदत अछिकि ट्रेन में चढ़वा सँ पहिने रिज़रवेशन चार्ट देखइ छी, आ ओहिमें अपन सीट के अगल-बगल १८ से २८ के रेंजक लड़किके ताकैछी। ( महिला विमर्श के झंडाबरदारसबसँ से क्षमायाचना सहित)


परंपरागत रुपसँ एहबैरो हम एहि कयलहुं, मुदा बात जमल नहिं। लागल कि एहि बेर यात्रा बोर हुअ वाला अछि। लेकिन जेना हि गाड़ी निज़ामुद्दीन स्टेशन छोड़लक, कैमरामैनके हम बतेने गेलहुं कि बिहारक बारे में ओकर सोच भ्रामक अछि। बिहार बिहार अछि। बिहार अफगानिस्तान नहिं अछि, बिहार मुंबईयो नहिं अछि। आर हमर सन नींक आ शरीप आदमी एहि बिहारक देन छी। तखन जाअक कैमरामैन पांडा साहब कनेक संतुष्ट भेलाह।


गरीब रथक बारे में हम अपन सहयात्रियोसबसं बातचीत केलहुं। राजनीतिक शिगूफाक तौरपर गरीब रथके चाहें जेतेक गरिया लियअ, लेकिन ज्यादातर लोग एहि बातके जानैत छथि आ ओ गरीब रथके लँकँ बिसेस इंप्रैस नहिं भेल छथि। कुछेक सच्चे अर्थोंमें लाभान्वित लोग, दिल्ली में सड़क बनावक काज में लागल कामगार.. पहिल बेर गांम जा रहल छलाह, पहिल बेर एसी में चढ़लो छलाह। ओहिमँसँ एक हरलाखी जी बतौलेथ कि ओ नेपाल सीमा सँ सटल गाम उमगांव जारहल छथि, आ जीवन में पहिल बेर खर्च कयकए एसी में सफर कअ रहल छथइ। हुनक् कनियांक बडड् मन छेलेन्ह एसी में सफर करेंके। चुनांचे, हरलाखी आ हुनक कनियांका चेहरा पर खुशी के आलेख आसानी से पढ़ल जा सकल छल।
एकटा परेशानी यात्रीगणके एहि ‍ट्रेन में पैंट्रीकारक कमी लअकअ भी अछि। लोग खाना कीनबाक खातिर माइर केने छलाह।


अगिला दिन भोर में नौ बजे जखन नींद खुलल तअ ट्रेन ठाड़ छल। दोनों दिस हरियाली..।

असीम..अनंत। पांडा जी बतौलेन्ह कि एखन-एखन कोनो नदी पार भेल अछि। देखलहुं तअ हॉल्ट छल, राजेंद्र पुल.। गंगाके पार करि हम हुनक किनारे ठाड़ छी- हम बतौलियैन्ह। पांडा जी फौरन से पहिने गगा माई के प्रणाम कैलेन्ह। गंगा दिस सँ आवैत बयार सँ मन प्रसन्न भअ गेल। गाड़ी लेट भ गेल छल। दूनूं दिसका हरियाली के तकैत हम मूंगफली जैहेन टाइम पासक सहारा लअ रहल छलहुं।

ओहिठाउं सँ गाड़ी असली रंगत देखेनाई शुरु भेल आ जयनगर पहुंचइत-पहुचइत साँझक पांच बाजि गेल। सांझ भइये गेल छल, सड़क पर सब दिस सरस्वती पूजाक अगिला दिन होवक वजह सँ विसर्जनक की धूम छल।


जारी