Monday, April 13, 2009

''नींक-नींक काज करैत जायब

''नींक-नींक काज करैत जायब,'' राजा कूड़न किसान सँ कहलथिन्ह। कूड़न, बुढ़ान सरमन आ कौंराई , इ छेलाह चारि टा भाई. चारों भोर में जल्दी उइठकँ अपना खेत पर काज करअ जाइत छेलाह।


दुफहरिया में कूड़न की बेटी अबैत छलीह, पोटरी सँ खाना लकअ। एक दिन गाम पर सँ खेत जाइत समय बेटी के एकटा कोनगर पाथर सँ ठोकर लागि गेलहि। ओकरा बड्ड क्रोध एलहि। अपनां दरांती सँ ओ ओहि पाथर के उखाड़क कोशिश करअ लगलीह। एकरे बाद फेर बदलैत जाइत अछि एहि पइघ किस्सा के घटना। तेजी सं। पाथर उठाक लड़की भागैत-भागैत खेत पर आवैत अछि. अपना पिता आ कक्का के सब बात एकहि सांस में बतबैत अछि।


चारु भाइ के सांस अटैक जाइत अछि। सब. जल्दी-जल्दी घर लौटेत छथि। हुनका मालूम पड़ि गेल छैन्ह कि हुनक हाथ में कोनो साधारण पाथर नहिं, पारस छैन्ह। लोहे के जेहि चीज़ सँ छुअवैत छथि ओ सोना बनि जाइत अछि आ हुनका आंखि में चमक भरि दइत छैन्ह।


लेकिन आंखिक ऐहि चमक बेसि काल तक नहिं टिक पवैत। कूड़न के लगैत छैन्ह कि देर-सबेर राजा तक एहि बात पहुंचिए जायत आ तखन पारस छिना जायत. तअ कि इ नींक नहिं होयत कि अपने सँ जाकअ राजा के सब कीछ बता देयल जाय।


किस्सा आगां बढ़ैत अछि...फेर जे कछु घटैत अछि ओ लोहाके नहिं बल्कि समाज के पारससँ छुआवक किस्सा बनि गैल। राजा नहिं पारस लेल न सोना.। सब किछ कूड़नके घुमौवैत कहलाह- एहि सँ नींक-नींक काज करिअह। पोखरि खुदिवैह।


इ किस्सा सत्त अछि, ऐतिहासिक अछइ- नहिं मालूम लेकिन पर देश के बिचोंबीच एक बहुत पइघ हिस्सा में इ किस्सा इतिहासके अंगूठा देखौवैत लोकक मन में रमल अछि। एहिठआंव पाटन नामक क्षेत्र में चारि टा बड्ड पइघ पोखरि आइओ अछि। आ एहि किस्सा इतिहास के कसौटी पर कसअ वालासबके लजौवैत अछि- चारु पोखरि क नाम चारु भाई के नाम पर अछि. बुढ़ागर में बूढ़ा सागर, मझगवां में सरमन सागर, कुआंग्राम में कौंराई सागर आ कुंडम गांव में कुंडम सागर.


सन् 1907 में गजेटियर के माध्यम सँ एहि देशक 'व्यवस्थित' इतिहास लिखवाक घूमि रहल अंग्रेज भी एहि इलाके मेंकतेबाक लोकनि सँ एहि किस्सा सुनल आ फेर देखलिन्ह आ फेर परखलैन्ह एहि चारि पइघ पोखरिक।


तखनों सरमन सागर एतेक पउघ छल कि ओकर भीड पर तीन पइघ-पइघ गांम बसेल छल आ तीनों गांम एहि पोखरि के अपना-अपना नाम सँ बांट लेल। लेकिन ओ विशाल ताल तीनों गाम के जोडऐत छल आ सरमन सागर के नाम सँ स्मरण होइ त छल. इतिहास सरमन, बुढ़ान, कौंराई और कूड़न के याद नहिं राखल..लेकिन एहि लोक पोखरि बनवैलैन्ह आ इताहस के भीड़ पर धअ देलखिन्ह।


देश-क मध्य भाग में, ठीक हृदय लअग धड़कैत इ किस्सा उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम- चारों दिस कोनो रुप में भेटिए टा जायत। एहि के साथ भेटत सैकड़ों, हजारों पोखरि। एकर कोनो गिनती नहिं। एहि पोखरीक गिनअ वाला नहिं हिनका बनावअ वाला आवैत रहलाह, पोखरी खोदाइत रहल।

Monday, February 16, 2009

कॉकी के बहाना सँ


परिस्थिति- जँ रेस्तरां में एक कॉफीक मग में माछी खसि पडय

स्थिति १- अगर ग्राहक फ्रेंच भेल

मंदी के ध्यान में राखि ओ कॉफी पी लेत, बिल चुकाकर गाम पर आवि जायत


स्थिति २- अगर ग्राहक चाइनीज भेल

चाइनीज ग्राहक कॉफी फेंक देत आ माछी खाकअ बिल देत। एहो संभव अछि ति ओ ऐहेन यंत्र बनावि जेहिमें बेसी सँ बेसी माछी कॉफी में खसल करऐ।


स्थिति ३- जं ग्राहक इस्रायली होवऐ

ग्राहक कॉफी फ्रेंच के बेच देत. माछी चीन के बेच देत। आ भेटल पाइ सँ तेहेन यंत्र बनाओत ताकि आगासँ माछी कॉफी में नहि खसि सके


स्थिति ४- जँ ग्राहक फलीस्तीनी भील


कॉफी में माछी देखकअ एहिमें इस्रायलक हाथ होवअकऐ हल्ला-गुल्ला करत। संयुक्त राष्ट्र आ अरब मुस्लीम समुदाय सँ अनुदानअक अपील करत। भेटल पाइ सँ हथियार कीनकँ इस्रायल पर हमला करत।


स्थिति ५- जौँ ग्राहक भारतीय भेल

कॉफी में पड़ल माछी हटाओत, आधा कप कॉफी पीकअ माछी के फेर सँ कप में धअ देत। हल्ला करअत कि हम उपभोक्ता फोरम में जा रहल छी। रेस्तरां ओकरा धोखा देओल.,.. आधा कप कॉफी तहियो में माछी .लेकिन मैनेजमेंट के बुझओला पर मानि जायत। साफ कॉपी पीकअ संतुष्ट होयत कि एक कप कॉफी के पाय में डेढ़ कप कॉपी पी लेलहुं।

Friday, February 6, 2009

बिहार यात्रा सँ लौटकअ

बहुत दिन भेल बल्कि महीना भर सँ ब्लॉग के समय नहिं दअ सकल छी। दिल आ दिमाग़ पर पेटअक कब्ज़ा भअ गेल अछि। चुनांचे, कवरेजअक सिलसिलां में जखिन बॉस गरीब रथ सँ कतहुं जायकए कहलअक तँ हमर पहलि आ अंतिम विकल्प जयनगर गरीब रथे रहल।


हमर एहि यात्रा की शुरुआत कोनो नींक नहिं कहल जा सकैत छल। कैमरामैन बिहार जावक नाम पर बिदकि रहल छल (हालांकि ओ खुद उड़ीसाक अछि) ओकरा कियो कहि देने छलहि कि बिहारक सीमा में घुसइत मात्र एकटा गोली सँ ओकर खोपड़ी छिन्न-भिन्न भ जेतइ आ गोली सीधा अनंत में विलीन भ जेतई। लेकिन सरकारी आदेशक सामने ओहि छोट-छिन कैमरामैनक की बिसात..ओकरा जाहि के छल, जाहि पड़लै।


गरीब रथ में कायदा सँ कोनो गरीब हमरा नहि भेटल तअ निराशा होवअ लागल। ( ब्लॉग लेखन कऍ रहल छी तअ भाई निशांत सौरभक तरफ सँ त्वरित टिप्पणी आयल अछि कि गरीब रथ गरीबअक कमाई सँ खींचा जाएवाला रथ अछि, दोहाई हो) । चुनांचे, पूरा बोगी में आ संभव अछि जे समूचा गाड़ी में सबसे बेसी गरीब हमीं छलहुं। लैप टॉपकए लैप पर बिछऔने आईटीकुशल युवा आ चमक-दमक साडिमें सजअल सामंती स्त्रीगण। .दो-एक लड़कि। पुरान आदत अछिकि ट्रेन में चढ़वा सँ पहिने रिज़रवेशन चार्ट देखइ छी, आ ओहिमें अपन सीट के अगल-बगल १८ से २८ के रेंजक लड़किके ताकैछी। ( महिला विमर्श के झंडाबरदारसबसँ से क्षमायाचना सहित)


परंपरागत रुपसँ एहबैरो हम एहि कयलहुं, मुदा बात जमल नहिं। लागल कि एहि बेर यात्रा बोर हुअ वाला अछि। लेकिन जेना हि गाड़ी निज़ामुद्दीन स्टेशन छोड़लक, कैमरामैनके हम बतेने गेलहुं कि बिहारक बारे में ओकर सोच भ्रामक अछि। बिहार बिहार अछि। बिहार अफगानिस्तान नहिं अछि, बिहार मुंबईयो नहिं अछि। आर हमर सन नींक आ शरीप आदमी एहि बिहारक देन छी। तखन जाअक कैमरामैन पांडा साहब कनेक संतुष्ट भेलाह।


गरीब रथक बारे में हम अपन सहयात्रियोसबसं बातचीत केलहुं। राजनीतिक शिगूफाक तौरपर गरीब रथके चाहें जेतेक गरिया लियअ, लेकिन ज्यादातर लोग एहि बातके जानैत छथि आ ओ गरीब रथके लँकँ बिसेस इंप्रैस नहिं भेल छथि। कुछेक सच्चे अर्थोंमें लाभान्वित लोग, दिल्ली में सड़क बनावक काज में लागल कामगार.. पहिल बेर गांम जा रहल छलाह, पहिल बेर एसी में चढ़लो छलाह। ओहिमँसँ एक हरलाखी जी बतौलेथ कि ओ नेपाल सीमा सँ सटल गाम उमगांव जारहल छथि, आ जीवन में पहिल बेर खर्च कयकए एसी में सफर कअ रहल छथइ। हुनक् कनियांक बडड् मन छेलेन्ह एसी में सफर करेंके। चुनांचे, हरलाखी आ हुनक कनियांका चेहरा पर खुशी के आलेख आसानी से पढ़ल जा सकल छल।
एकटा परेशानी यात्रीगणके एहि ‍ट्रेन में पैंट्रीकारक कमी लअकअ भी अछि। लोग खाना कीनबाक खातिर माइर केने छलाह।


अगिला दिन भोर में नौ बजे जखन नींद खुलल तअ ट्रेन ठाड़ छल। दोनों दिस हरियाली..।

असीम..अनंत। पांडा जी बतौलेन्ह कि एखन-एखन कोनो नदी पार भेल अछि। देखलहुं तअ हॉल्ट छल, राजेंद्र पुल.। गंगाके पार करि हम हुनक किनारे ठाड़ छी- हम बतौलियैन्ह। पांडा जी फौरन से पहिने गगा माई के प्रणाम कैलेन्ह। गंगा दिस सँ आवैत बयार सँ मन प्रसन्न भअ गेल। गाड़ी लेट भ गेल छल। दूनूं दिसका हरियाली के तकैत हम मूंगफली जैहेन टाइम पासक सहारा लअ रहल छलहुं।

ओहिठाउं सँ गाड़ी असली रंगत देखेनाई शुरु भेल आ जयनगर पहुंचइत-पहुचइत साँझक पांच बाजि गेल। सांझ भइये गेल छल, सड़क पर सब दिस सरस्वती पूजाक अगिला दिन होवक वजह सँ विसर्जनक की धूम छल।


जारी

Monday, December 8, 2008

भांग विद मंजीत- एकटा आर लोकगीत


हे.. लटर-पटर दूनू टांग करै,
जे नहिं नबका भांग करै,

हे.. लटर-पटर दूनू टांग करै,
जे नहिं नबका भांग करै।।


आ रसगुल्ला इमहर सं आ,

इमहर सं आ, उमहर सँ आ,

सीधे मुंह में गुड़कल आ

एक सेर छाल्ही आ दू टा रसगुल्ला

एतबे टा मन मांग करै।

हे.. लटर-पटर दूनू टांग करै,
जे नहिं नबका भांग करै।।


Thursday, September 25, 2008

मैथिली लोकगीत

सावन-भादों मे बलमुआ हो चुबैये बंगला
सावन-भादों मे...!
दसे रुपैया मोरा ससुर के कमाई
हो हो, गहना गढ़एब की छाबायेब बंगला
सावन-भादों मे...! ]
पांचे रुपैया मोरा भैन्सुर के कमाई
हो हो, चुनरी रंगायब की छाबायेब बंगला
सावन-भादों मे...!
दुइये रुपैया मोरा देवर के कमाई
हो हो, चोलिया सियायेब की छाबायेब बंगला
सावन-भादों मे...!
एके रुपैया मोरा ननादोई के कमाई
हो हो, टिकुली मंगायेब की छाबायेब बंगला
सावन-भादों मे...!
एके अठन्नी मोरा पिया के कमाई
हो हो, खिलिया मंगाएब की छाबायेब बंगला
सावन-भादों मे...!

Tuesday, September 23, 2008

वेलकम टू सज्जनपुर- जरुर देखू



रिपोर्टिंग में फिल्म बीट भयला सँ हमारा हर तरह के फिल्म देखअ पड़इया। एहि सूची में नीक आ खराब दूनों तरह के फिल्म होइत अछि। मुदा, एहि सप्ताहक फिल्म वेलकम टू सज्जनपुर बहुत दिन के बाद हमरा एकटा नींक फिल्म लागल। ओना फिल्मके निर्देशक श्याम बेनेगल अपन फिल्ममें गंभीरता के लेले प्रसिद्ध छैथ। लेकिन एहि बेर ओ व्यंग्य आ हास्य के सहारा लेने छैथ। मुदा फिल्म देखब त जानब की एहि फिल्म में अपान सबहक लोकतंत्र के बारे में एकटा प्रासंगित स्टेटमेंट अछि।


फिल्म में श्रेयस तलपदे महादेव कुशवाहा के रोल कैने छैथ। सज्जनपुर में एकटा वैह मात्र लोक छिथिन्ह जे पइढ़-लिख सकैत छैथ। हुनकर नायिका बनल छथिन्ह अमृता राव आ हुनाक गामक लड़की बनअ में कोनों विशेष मेहनत करअकै ज़रुरत नहिं पड़लैन। महादेव गामक लोकनि के चिट्ठी पत्री लिखैत छथि। एहि दौरान सरपंची के चुनाव हौई छै, आ एहि बहाने निर्दशक गाम राजनीति के पर्दाफास करैत छथि।
अंधविश्वास के मारल एकटा पीसी( इला अरुण) अपन मांगलिक बेटी के विवाह कुक्कुर सँ करेवाक प्रसंग आहां के हंसेबो करत आ सोचइपर मजबूर करत। इला अरुण के स्वाभाविक अभिनय देखकअ मन होइ त अछइ जे अपन तथाकथित भोजपुरी सुपरस्टार नायिका आ नायक लोकनि के कहियैन कि देखियउ ओ इला जी के अभिनय देखू आ कछु सीख लियअ। भोजुरी सँ याद आएल फिल्म में रविकिशन मेहमान एकटा रोल में छैथ आ नींक अभिनय केने छैथ।


संगीत पक्ष कनि कमोजोर जरुर छै लेकिन लोकेशन आ पटकथा में कोनो कमजोरी नईं दिखाई पड़ल। हमरा तरफ सँ फिल्म के पांच में सँ चारि अंक। इ फिल्म जरुर देखू..।

Monday, September 22, 2008

ऑस्करक दौड़ में भारतीय फिल्म

खबर इ अछि जे एहि साल आमिर ख़ानक फ़िल्म 'तारे ज़मीं पर' ऑस्करक दौड़ में आवि गेल अछि। भारतसँ विदेशी भाषाक श्रेष्ठ फ़िल्मक श्रेणी में इहि फिल्मके प्रवेश भेटतई। शनिवारक सांझमें मुंबईमें फ़िल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की तरफ़ सँ फ़िल्म निर्माता सुनील दर्शन एहि बातक घोषणा केलखिन्ह। एहि ठाऊं आहांसब के बता दियअ कि एखनि धरि विदेशी फिल्मक श्रेणी में कै टा भारतीय फिल्म नामित भेल अछि। जेहि सालक उल्लेख क‌अ रहल छी, जेहिके अलगा वसंतमें पुरस्कार देल जाइत अछि।

१८५६- मदर इंडिया - महबूब खान- नॉमिनेटेड
१९६२- साहब, बीवी और गुलाम- अबरार अलवी
१८६९- देवामागन्- ए सी थिरुलोगचंदर
१९७०-कोई एंट्री नहीं
१९७१- रेशमा और शेरा- सुनील दत्त
१९७२ उपहार- सुधेंदु रॉय
१९७३- सौदागर-सुधेंदु ऱॉय
१८७४- गरम हवा- एम एस सथ्यू
१९७५-७६ कोई एंट्री नहीं
१९७७-मंथन- श्याम बेनेगल
१९७८ द चेस प्लेयर- सत्यजित् रे
१९७९- कोई एंट्री नहीं
१९८०- पायल की झनकार- सत्येन बोस
१९८१-८३- कोई एंट्री नहीं
१९८४- सारांश- महेश भट्ट
१९८५- सागर- रमेश सिप्पी
१९८६- स्वाति मुत्यम्- विश्वनाथ
१९८७- नायकन्- मणिरत्नम्
१९८८-सलाम बॉम्बे- मीरा नायर- नॉमिनेटेड
१८८९- परिंदा- विधु विनोद चोपड़ा
१९९०- अंजलि- मणिरत्नम्
१९९१- हिना- रणधीर कपूर
१९९२-थेवर मगन- भरतन्
१९९३- रुदाली- कल्पना लाजिमी
१९९४ बैंडिट क्वीन- शेखर कपूर-
१९९५- कुरुदिपुनल्- पी सी श्रीराम
१९९६-इंडियन- शंकर
१९९७- गुरु- राजीव अंचल
१९९८-जींस- शंकर
१९९९- अर्थ- दीपा मेहता
२०००- हे राम- कमल हासन
२००१- लगान- आशुतोष गोवारिकर- ऩॉमिनेटेड
२००२-देवदास- संजय लीला भंसाली
२००३-कोई एंट्री नहीं
२००४- श्वास- संजय सावंत
२००५-पहेली- अमोल पालेकर
२००६- रंग दे बसंती- राकेश ओमप्रकाश मेहरा
२००७- एकलव्य- द रॉयल गार्ड- विधु विनोद चोपड़ा
२००८- तारे ज़मीन पर- आमिर खान

एहि बातक मतलब इ भेलई कि एखनि धरि तारे ज़मीर पर के छोडि दी त मात्र तीन फिल्म ऑस्करक दौड़ में आवि सकल अछइ, मदर इंडिया, सलाम बॉम्बे आ लगान।